Last updated on July 17th, 2024 at 05:32 am
आजादी का अमृत महोत्सव
घर घर में है आज ये उत्सव आजादी का अमृत महोत्सव 15 अगस्त पर भाषण बोलने के लिए आपके लिए, हम आपके लिए लेकर आए है आजादी के अमृत महोत्सव पर ये देशभक्ति से ओतप्रोत भाषण जो, देशप्रेम का जज्बा आपके दिलो में जगा देगा.
Poem for Independence day
हर घर तिरंगा, हम लहरायेंगे
घर घर तिरंगा, हम फहराएंगे
शान हमारी है तिरंगा
आन हमारी है तिरंगा
जबाँ जबाँ ये ही बोले,हरदम ये दोहराएंगे
मिट्टी वतन की जैसे चन्दन
हर मस्तक करता है वंदन
पावन धरा है ये गंगा जैसी
राधा मीरा सीता जैसी
प्रेम प्यार में रची बसी, प्रेम की धून गायेंगे
देश प्रेम है मन में तो फिर
लहरा तिरंगा क्या है फिकर
वन्दे मातरम जय हिन्द गा के
भारत माँ की जयकार कर
तिन रंग का ये पैगाम, जन जन तक पहुचायेगे
आजादी का अमृत महोत्सव भाषण
झुकने कभी न दिया जिसे,
वीरो ने प्राण गंवाए है
इस तिरंगे पर मर मिटे वो,
लाखो ने दांव लगाए है
मेरे प्यारे मित्रो और और उपस्थित सभी आदरणीय एवं वन्दनीय, सभी को मैं प्रणाम करता हूँ. आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए, लेकिन ये आजादी का अमृत महोत्सव क्या है, और ये हम क्यों मना रहे है, आइए सबसे पहले इसी बारे में जान लेते है.
हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है, हमें आजादी मिली थी, लेकिन आज इस आजादी को पा के हमें 75 वर्ष पुरे हुए है, और इसी अमृत वेला को, नाम दिया है आजादी का अमृत महोत्सव.
हमारे माननीय आदरणीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसकी शुरुआत 12 मार्च 2021 से की थी जो 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगा, हम भूल चुके है हमारे सैनानियो को, वीरो को आज उन्ही को याद करने के लिए ये महोत्सव मनाया जा रहा है.
हम भूल गए क्यों आज
उन्हें, जो जान से हमको प्यारे थे
हमें बचाने की खातिर
जिन्होंने, प्राण भी हमपे वारे थे
रगों में जिनकी खून नहीं,
अरे फौलाद बहा करता था
दूर खड़े सीमा पर यारो, वो
पहरेदार हमारे थे
जिन्होंने हमारे लिए बलिदान दिए, हमें आजादी दिलाई आज हमारे पास इतना वक्त भी नहीं की हम उन्हें याद कर सके, आज कल के बच्चो को तो ये भी नहीं पता की हम 15 अगस्त क्यों मनाते है.
बस इसीलिए, आज ये दिन हमारे लिए ख़ास है, की हम आज उन्हें याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दे सके, उनके प्रति सम्मान से सिर झुका सके.
जब जब वतन खतरे में आया,
सीना तान के वो ही खड़े थे
बैठे थे हम डर के घरो
में, सरहद पर जा के वो ही लडे थे
गोली खाकर भी सीने पर जो,
भारत माँ की जय बोले थे
सौ सौ दुश्मन से जा
अकेले, शेरो से वो ही तो भीडे थे
हर चीज से पहले हमारे दिलो में, देश और देश के वीरो के लिए सम्मान होना चाहिए, दो शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त करूँगा की
रही अगर महफूज सरहद तो,
चैन से हम सो पाएंगे
गीत खुशहाली वाले भी, तभी
हम गा पाएंगे
डटे है जब तक सीमाओं पर,
जवान हमारे शेरो से
अस्मत माँ बेटी बहन की,
सलामत तभी कह पाएंगे
जय हिन्द वन्दे मातरम