रामकृष्ण परमहंस जयंती | Ramkrishna Paramhans

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Last updated on July 20th, 2024 at 03:40 pm

 श्री रामकृष्ण परमहंस स्वामी जयंती

कामारपुकुर गाँव पश्चिम बंगाल में जन्म हुआ एक ऐसे महान संत और विचारक का जिनका नाम था रामकृष्ण परमहंस (Ramkrishna Paramhans), 18 फरवरी 1836 का वो दिन जिस दिन खुदीराम और चंद्रमणि के यहाँ एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया, जो आगे चलकर एक महान समाज सुधारक और संत के रूप में विख्यात हुए।

कहा जाता है की पिता खुदीराम ने एक दिन स्वपन में देखा की भगवान उनके सपने में आकर कहने लगे की, खुदीराम तेरे घर पर तेरे पुत्र के रूप में खुद भगवान जन्म लेंगे, इस बात से वो बेहद प्रसन्न हुए और अपनी पत्नी से ये बात कही, तो उन्होंने कहा की अगर ऊपर वाले ने चाहा तो जरूर ईश्वर कृपा से ऐसा ही होगा।

Ramkrishna Paramhans

Swami Ramkrishna Paramhans स्वामी रामकृष्ण परमहंस

रामकृष्ण परमहंस जी का मानना था की, दुनियाँ में सभी धर्मो का उद्देश्य और आधार न्याय, प्रेम और करुणा तथा परहित के लिए कार्य करना ही है, उन्हें बचपन में गदाधर के नाम से जाना जाता था, पिता खुदीराम और माता चंद्रमणि देवी के सुपुत्र जिन्होंने दुनियाँ भर में, एकता और प्रेम का प्रचार किया।

बचपन में वे लोगो के घर जाकर भक्ति भजन और कृष्ण चरित्र सुना करते थे, उन्हें अध्यात्म में रूचि थी और वे देवी देवताओ की श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना भी किया करते थे।

उनके मन अटूट श्रद्धा भाव था की प्रभु  जरूर उन्हें दर्शन देंगे, उनकी भक्ति और साधना भी अधिक कठिन होती थी, वे पूरी लगन से ईश्वर की आराधना करते थे।

उनका बचपन कुछ अभावो में गुजरा क्योकि उनके पिता का साया कम ुरा में ही उनके ऊपर से उठ गया था, और सिर्फ 12 साल की कम उम्र में उन्हें अपनी शिक्षा का त्याग करना पड़ा।

Ramkrishna Paramhans Quotes रामकृष्ण परमहंस के उपदेश

  • उन्हें भक्ति करते हुए ये ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होंने जाना की सभी धर्मो का सार दया, करुणा, परोपकार ही है, उन्होंने इसे जन जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया और जनसेवा का कार्य जीवन भर किया, उनके कुछ विचार यहाँ प्रस्तुत कर रहे है।
  • मिट्टी का बना घोड़े का खिलौना या कोई फल का चित्र जैसे हमें असली घोड़े या असली फल की याद दिलाते है, उसी तरह से ये भगवान के चित्र और ये ईश्वर की मुर्तिया भी, हमें उस परमात्मा की याद दिलाते है जो सर्वव्यापी और सनातन है, जो हर चीज को बनाने वाला है।
  • हर मानव में ईश्वर होता है परन्तु हर इंसान में ईश्वर का भाव हो ये जरुरी नहीं होता, और इसी कारण की वजह से आज ज्यादातर इंसान दुखी है।
  • रात केअँधेरे में आसमान में दिखने वाले तारे दिन के उजाले में नजर नहीं आते, इसका मतलब ये कत्तई नहीं होता की दिन में तारे नहीं होते, होते है लेकिन हमें नजर नहीं आते, इसी तरह कभी ये नहीं कहना चाहिए की ईश्वर नहीं होता, होता है लेकिन वो हमें नजर नहीं आता क्योकि हमारी दृष्टि और मन कुछ और देखने में मगन होता है।
  • जैसे  नाव पानी में रहती है ये ठीक है, लेकिन पानी नाव में रहे तो गलत है, इसी तरह साधक (मानव) दुनियाँ में रहे ये ठीक है, लेकिन दुनियां मानव में रहे तो गलत है।
  • इंसान किसी चीज कवर जैसा होता है, जैसे तकिए का कवर, कोई हरा होगा, कोई पीला होगा तो कोई सफ़ेद होगा, परन्तु उन सब में अंदर तो रुई ही भरी गई है, उसी प्रकार इंसान लम्बा हो पतला हो मोटा हो या बदसूरत हो चाहे खूबसूरत हो, सबके अंदर तो वो ही परमात्व तत्व है।

रामकृष्ण परमहंस और मां काली

रामकृष्ण का मन सदैव ही भक्ति  रहता था, इसके चलते उन्हें माँ काली के मंदिर का पुजारी बनाया गया था, परन्तु वो हमेशा यही सोचते रहते थे की क्या मैं जिस मूर्ति की पूजा करता हूँ, उसमे सच में माँ है या ये सिर्फ एक छलावा है, सपना है जिसमे सारी दुनियाँ खोई हुई है।

उनका मन पूजा भक्ति में नहीं लगता तो वो पूजा में देरी करते थे, तो कभी इतनी पूजा आराधना करते थे आरती भजन गाते थे की घंटो बीत जाया करते थे, उनके मन में हमेशा यही लगन थी और सदा कहते थे की  हे माँ मुझे दर्शन दे, दया करो माँ, मेरा हर दिन बिना आपके दर्शन के व्यर्थ जा रहा है।

12 साल की कठिन तपस्या की माँ काली के समक्ष और बस अपनी धून  मगन रहते थे, खाना पीना तक त्याग दिया था, बस वो माँ काली को एकटक निहारते रहते थे, उनका ध्यान किया करते थे।

रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद

जो सदा तर्क में विश्वाश रखता था, वो नरेंद्र जो एक साधारण बालक था, वो जब रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आया तो उन्होंने उस बालक  नरेंद्र से स्वामी विवेकानद बना दिया, अपनी शक्ति  करवाकर उन्होंने माँ भारती को इस राष्ट्र  को एक ऐसा पुत्र दिया, जो पुरे विश्व में भारत को सम्मान दिलाता रहा।

स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन  स्थापना की और अपने गुरु के नाम को और ऊपर उठाया, युवाओ को जगाने का कार्य किया और देशहित में कार्य किया।

Hi, I'm Hitesh Choudhary (Lyricist), founder of NVH FILMS. A blog that provides authentic information, tips & education regarding manch sanchalan, anchoring, speech & public speaking.

Leave a Comment