Old memories | Bachpan Ki Purani Yaadein | बचपन की पुरानी यादें | Best Memories Childhood

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Last updated on July 13th, 2024 at 01:28 am

पुरानी यादें बचपन की चाहे हम कितनी ही भुलाने की कोशिश करे लेकिन भुला नहीं
पाते, हमारे मन में कहीं न कही वो रहती है और जब कोई ऐसा किस्सा या वाक्या
हमारे सामने आता है तो फिर हम पहुच जाते है उसी पुरानी दुनियाँ में, जो कभी
हमने बचपन में गुजारी थी, दोस्तों कुछ मशहूर किस्से पुराने जमाने के आपके सामने
यादों के रूप में पेश कर रहा हूँ, आपको भी जरुर याद होंगे वो दिन, तो चलिए ले
चलते है आपको 90s के दौर में.

    रामायण

    नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है, अभी हाल ही में दूरदर्शन पर फिर से रामायण का
    प्रसारण शुरू किया गया है, और आज भी जब में इस रामायण को देखता हूँ, तो मन में
    वही पुरानी तस्वीर उभर आती है, ये रामायण इस भारत भूमि की अमर गाथा तो है ही
    मगर, हमें जीने का तरीका सिखाती है, मर्यादा सिखाती है, संयम, संबल के साथ एक
    आत्मविश्वाश मन में जगाती है, जीत तो सत्य की ही होगी, हमें किस राह पे चलना
    चाहिए, कैसा जीवन जीना चाहिए.

    साथ ही मुझे गुजरे हुए वो दिन याद आते है, जब रामायण के लिए हम सब एकत्रित
    होते थे, और बड़े ध्यान से देखते थे, कभी अगर सिग्नल ठीक से नहीं आ रहा होता था,
    तो एंटीना घुमाने के लिए, घर की छत पे जाके एंटीना घुमाते थे, इस बात पे चर्चा
    करते थे की अगले एपिसोड में क्या होगा, या उसने ठीक किया, या उसे ऐसा नहीं करना
    चाहिए था.


    Ramayan Ramanand Sagar

    गलिया सुनसान हो जाती थी एक घंटे के लिए, पूरा देश राममय हो जाता था, भक्ति
    में रंग जाता था, और हम खेल भी तो ऐसे ही खेलते थे, कोई राम तो कोई लक्षमण और
    कोई हनुमान बन जाता था, और हम रामायण का नाटक किया करते थे.

    बस इतना ही नहीं लेकिन आज की जनरेशन को शायद पता ही नहीं है की ये रामायण एक
    पौराणिक कथा ही नहीं, अपितु, एक संस्कार है, हमें हमारे बच्चो को जरुर दिखानी
    चाहिए रामायण, क्योकि ये ही तो सिखाती है, माता पिता का सम्मान, गुरुजनों का
    सम्मान, बड़ो की इज्जत करना, छोटो को प्रेम करना, और हम उम्र से अपनापन,

    हम आज के दौर में इतने आगे निकल आए है की, अपनी धरोहर को भूलते जा रहे है,
    तालाब की आस में, समन्दर को छोड़ रहे है, आज हम खुद को किस दिशा में मोड़ रहे है,
    मैं ये नहीं कहता की आज के जमाने से कदम मिला के मत चलो, लेकिन अपनी नीव भी तो
    मत भूलो

    पहले जहाँ संयुक्त परिवार होता था, वही आज परिवार सिर्फ पति पत्नी और बच्चो तक
    सिमित हो गया है, माता पिता दादा दादी, चाचा चाची , और भी अनगिनत रिश्ते कहीं
    खो गए है, रह गए है तो सिर्फ नाम के लिए, तो क्या आप को कभी याद नहीं आते वो
    सुनहरे दिन, वो बीते दिन, जहाँ बड़ो का आदर, गुरुओ का सम्मान होता था, माता पिता
    के सामने कुछ कहने से पहले सौ बार सोचते थे,

    आपको भी अगर उस ज़माने का कोई किस्सा याद आ रहा हो तो, कमेंट करके जरुर हमसे
    शेयर करे, धन्यवाद

    महाभारत

    यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

    अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

    परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।

    धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

     

    कुछ याद आया, यहाँ बात हो रही है महाभारत की, महाभारत जब टीवी पर आता था, तो सब मंत्र्मुघ्द से देखते रहते थे, महाभारत हमें क्या सिखाता है, महाभारत क्या है, महाभारत में वो सब कुछ है, जो इस दुनियां में है

    अगर महाभारत को ढंग से समझ लिया तो, किसी के घर में कभी महाभारत नहीं होगा, क्योकि ये एक ऐसी गाथा है, जिसमे प्रेम है, स्वार्थ है, दोस्ती है, दुश्मनी है, विश्वाश है, और विश्वश्घात भी है, त्याग है, बलिदान है, तो साथ में छल कपट भी है,मोहमाया है, कहने का तात्पर्य ये है की वो सबकुछ है जो इस दुनियां में है

    महाभारत में वो पुत्र है, जो पिता के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहना स्वीकार करता है,  राजपाट का त्याग करता है, वो भीष्म है, जिसे पहले देवव्रत के नाम से जाना जाता था

    mahabharat b r chopra

    वो स्वार्थ भी है जो धृतराष्ट के मन में था, राज्य की लालसा, तो वो कौरव भी है जो छल कपट करके राजपाट हथियाते है, वो पांडव भी है, जो धर्म और त्याग के लिए सर्वस्व छोड़ देते है, जुआ है, द्रोपदी का चीरहरण है, वो पतिव्रता नारी गांधारी भी है, जो आजीवन अपने पति के अंधे होने के कारण, खुद भी अपनी आँखों पे पट्टी बांधे रखती है, क्या नहीं है महाभारत में, वो कृष्ण है, जो न्याय के लिए खड़े होते है, और अर्जुन को गीता का ज्ञान देते है,

    महाभारत एक सम्पूर्ण ऐसी गाथा है, की जो महाभारत में है, वो हर रिश्ता हर चीज इस दुनियां में है, और अगर कोई चीज महाभारत में नहीं है, तो फिर वो इस संसार में भी नहीं है, तो आप भी महाभारत देखे, और जाने जीवन के उन मूल्यों को, साक्षात्कार करे, निरिक्षण करे, और उन दिनों को भी याद करे, जब आप छोटे थे और महाभारत देखते थे, आपके अनुभव जरुर हमसे साझा करे, की आपने क्या सिखा, और क्या अच्चा लगा आपको, धन्यवाद

    गाँव की यादें

    आज शहर की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में, हम ये भूल गए है, की हमारा कोई अतीत भी था, अगर हम पीछे झाँक कर देखे तो, हमें मिलेगी वो अथाह दौलत जो आज हम पैसो से भी नहीं खरीद सकते, न ही उसका कुछ मोल लगा सकते है

    मगर हमें तो आदत है न, पश्चिमी सभ्यता को कॉपी करना, लेकिन इस आगे निकलने की होड़ में, हम वो खो रहे है, जो अनमोल है,

    क्या आप भूल सकते है, वो बचपन, जहाँ आप खेले थे, वो गलियां आज सुनसान सी लगती है, क्या हमारा फर्ज नहीं है की हम अपने बच्चो को वो सब कुछ दिखाए, उन्हें उससे अवगत कराये, लेकिन नहीं हम तो आज शहरो में बसे हुए है, और कभी गाँव जाते भी नहीं, हमारे वो पुराने घर हमारी राह देखते, यूं ही बंद पड़े है, 

    वो गाँव की गलियों में जब हम गिल्ली डंडा या कंचे खेलते थे, तो हमें पता ही नहीं चलता था, की वक्त कब बीत गया, और बारिश के पानी में नाव बना कर चलाते थे, उस नाव के पीछे जाते थे, जब तक की वो गल कर डूब न जाए, लेकिन आज के बच्चो की ये सब पता ही कहा है, क्योकि हमने कभी उन्हें दिखाया ही नहीं, तो गलती उनकी नहीं है, गलती तो हमारी है

    ganv

    आज के बच्चे तो बस मोबाइल तक सिमित हो गए है, उनकी दुनिया बस मुट्ठी में कैद हो कर रह गई है, घर में रहते हुए भी आज हम अनजानों की तरह रहते है, सब अपनी मस्ती में मस्त, हम दोस्तों से तो ढेर सारी बाते करते है, मगर घर के सदस्यों से तो बातचीत भी उतनी ही होती है, जितना काम हो, तो कहाँ है आपका घर, अगर आप इसे घर कहते है, इसे परिवार कहते है, तो ये विडंबना है, आपको सोचने की जरुरत है, और फिर से लौटने की आवश्यकत है, उस जगह जहाँ हम एक हो सके

    मुझे बहुत दुःख होता है, ये सोच के की जो बचपन हमने गुजारा वैसा हम अपने बच्चो को नहीं दे पा रहे, बेशक आज सुख सुविधा पहले से कही गुना ज्यादा है, मगर कुछ है जो छुट रहा है, कुछ है जो हमें बुला रहा है

    ए पंछी तू लौट के आ, तेरा घर ये तुझे बुलाता है

    अपनापन प्यार मोहब्बत, जो तुझको सिखाता है

    तू भूल गया है दौलत में, घर बार तेरा है यहाँ

    बचपन के साथी छुट गए, परदेशी तू बन जाता है

    Hi, I'm Hitesh Choudhary (Lyricist), founder of NVH FILMS. A blog that provides authentic information, tips & education regarding manch sanchalan, anchoring, speech & public speaking.

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