Last updated on July 15th, 2024 at 03:09 am
शिक्षक को भाषण देना ही होता है, स्कूल हो चाहे कॉलेज, हर जगह हर कार्यक्रम में
उन्हें बोलना होता है, उन्हें लोगो को जानकारी देनी होती है, मोटीवेट करना होता
है, लेकिन इस भागम भाग में, जानकारी और ज्ञान का भंडार होते हुए भी, अपने लिए
स्पीच तैयार करने में कभी कभी समय नहीं मिल पाता, और इसी कारण हम लाए है शिक्षक
के लिए 15 अगस्त भाषण जो बिलकुल तैयार
है, स्टेज पे बोलने के लिए।
आप सब जानते है की हम हमेशा कुछ नया लिखने की कोशिश करते है, और इस बार भी ये
भाषण एकदम नए तरीके से आपके सामने पेश किया जा रहा है, आप चाहे तो इसमें अपनी
सुविधा अनुसार कुछ बदलाव करना चाहे तो कर सकते है।
शिक्षक के लिए स्वतंत्रता दिवस भाषण
नमस्कार, आए हुए अतिथिगण, शिक्षक एवं मेरे मित्रो को आज के दिन की शुभकामनाए।
आओ एक एक दिन हम भी, सरहद पे पहरा दे आए
देशप्रेम अपने सिने का, सीमा पर दिखला आए
वो मिल आए घर वालो से, हम दुश्मन से लड़ आए
हो जाए गर ऐसा तो फिर, एक नई मिशाल बन जाए
क्या आपके मन में ऐसे भाव कभी जन्म लेते है, क्या कभी सोचा है की हम भी देश के
लिए कुछ करें।
आज आजादी का दिन हम मना रहे है, हम स्वतंत्र है, जो कहना है कहो, जो करना है करो,
मगर ये आजादी बड़े और कड़े, प्रयासों से मिली है, जिसे हम सिर्फ, ध्वज फहरा कर, और
कुछ नारे लगाकर मना लेते है।
हम कभी ये समझ ही नहीं पाए की हमारा भी कुछ फर्ज है, और ये आजादी सही मायनो में
तभी सफल कही जा सकेगी, जब हम इसे समझेंगे,
15 अगस्त आते ही कुछ दिन पहले हम तयारी करते है
की, हमें ये भाषण देना है, हमें ये डांस करना है, लेकिन कभी ये नहीं सोचते की, बस
इतना भर कर लेने से, या एक दिन का जश्न मना लेने से, इस भारत देश के लिए हमारा
कर्तव्य पूरा हो गया, नहीं, नहीं हुआ पूरा,
हमें हर दिन को 15 अगस्त बनाना होगा, बाहरी तौर पे ना सही, अंदरूनी और मानसिक तौर
पे हमें सोचना होगा की हर दिन, 15 अगस्त है, और हर रोज मुझे अपने देश के लिए कुछ
करना है तभी सफल हो पाएगा ये स्वतंत्रता दिन।
चिंगारी मेरे बदन में, किसी बिजली से कम नहीं होती
देशप्रेम से बड़ी कोई, मेरे लिए कसम नहीं होती
यूं तो जिन्दगी में आकर, चले जाते है सभी लेकिन
तिरंगे से लिपट के मरे, वो मौत जन्नत से कम नहीं होती
ये शब्द तीर की तरह कलेजा चीर देते है, लेकिन ये बोल हर सैनिक और देशभक्त की जबाँ
से निकलते है, हम भूल जाते है की सीमाओं पर खड़े हमारे भाई, हमारे लिए कितने कष्ट
और तकलीफ सहते है, मगर फिर भी कभी आह नहीं, बस वाह करते है।
तुम सीमा पर लड़ रहे हो, देश की शान बचाने को
खून का हर कतरा तुमने, लगाया फर्ज निभाने को
सांस सांस लम्हा लम्हा, किया समर्पित भारत को
घर परिवार खुशियाँ भूली, देश को तुमने सजाने को
राते जाग के काटी तुमने, तपते सहरा में गम झेले
फिर भी कभी न कम हुए, देशभक्ति के वो मेले
कहीं तोपों की गर्जन है, कहीं बौछारे गोली की
हर मैदां में डटकर जंग, बहादुरी से तुम खेले
उनकी बहादुरी और शौर्य की जितनी बात की जाए कम है, लेकिन आज मैं इस मंच से अपनी
आवाज आप तक पहुँचाना चाहता हूँ, की आज जो बच्चे पढाई को सिर्फ मजाक समझते
है, जिनके कुछ सपने नहीं है, न परिवार के लिए न देश के लिए, न खुद के लिए, उन्हें
नींद से जगाना चाहता हूँ, की जागो, अगर आज तुम नहीं जागे तो कल, तुम्हारा भविष्य
अँधेरे में होगा, तुम ही हो जो कल को नया सूरज ऊगा सकते हो, कामयाबी का, उन्नति
का, और दुनिया की आँखे चकाचौंध कर सकते हो,
आज तुम खुद को पहचान नहीं पा रहे, तुम्हे जरुरत है अच्छे लीडर की, अच्छे टीचर की,
और अच्छे मित्रो की, जो तुम्हारा पथ प्रदर्शित कर सके।
एक वक्त था जब यहाँ शिक्षा को सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण माना जाता था, लेकिन आज
पश्चिमी सभ्यता को अंधाधुंध फॉलो करने के चक्कर में हम, हमारा अपना इतिहास,
संस्कृति और सभ्यता को है, जो सही नहीं है।
गुजारिश बस इतनी मेरी, अपनी जड़ो को पहचानो
सम्मान करो आदर दो, अपने बड़ो की मानो
देखे जिन्होंने बसंत कई, उन्हें पता इतिहास है
बिना नीव न भवन बने, गुरु ज्ञान को जानो
बात चुभने वाली जरूर है, मगर कहनी जरुरी थी, सिर्फ बेहतरीन बातों से देश को आगे
नहीं बढ़ाया जा सकता, कुछ कड़े निर्णय, कुछ विचार और कुछ प्लान होने चाहिए, शुरुआत
इसी जगह से करो, बोलो कल से कौन ये जिम्मेदारी लेना चाहेगा की, वो हर किसी को
स्वछता के लिए प्रेरित करेगा, कही भी कूड़ा फेंकने पर रोकेगा, कौन लेगा ये
जिम्मेदारी की कुछ देर ऐसे बच्चो को पढ़ाएगा, जिनकी स्कूल जाने या फीस भरने की
तकलीफ है, इसी तरह के और भी बहुत से काम है जो आप खुद देख कर कर सकते हो।
मुझे आशा है की मेरी बात आप समझ गए है, आप सभी को फिर से आज के दिन की शुभकामनाए।