Last updated on July 20th, 2024 at 01:06 am
महिला दिवस पर भाषण आप स्कूल में या कॉलेज में या किसी भी कार्यक्रम में दे सकते है, भारतीय महिला दिवस या अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस नाम अलग है मगर सबका मकसद एक ही है, महिलाओं को सम्मान देना और उनको बराबरी का अधिकार देना, उन्हें ये बताना की आप और हम एक है, लिंग भेद न करना और साथ मिलजुलकर आगे बढ़ना, उन्हें अपना हक़ दिलाना और कुरीतियों और ढकोसलो से बचाना।
ये भाषण आप दे सकते है, चाहे आप शिक्षक (Teacher) है, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे है, या किसी भी पद पे कार्यरत है, ये भाषण ऐसा लिखा गया है की आप कोई भी इसे बोल सकते है।
भारतीय महिला दिवस भाषण
बेटी बनकर मुस्काती है कभी, माँ बनकर दर्द छुपाती है
वो औरत है जो खुद रोकर, दूजे के होंठों पे हंसी सजाती है
औरत एक ऐसी शक्ति का नाम है, जिसके होने से घर संवरता है, कहते है की,
हजारो फूल चाहिए एक गुलशन बनाने के लिए
हजारो दीपक चाहिए एक दिवाली मनाने के लिए
हजारो बूँद चाहिए एक समंदर बनाने के लिए
पर एक स्त्री ही काफी है घर को स्वर्ग बनाने के लिए
जिस घर में स्त्री का सम्मान होता है
उस घर में जन्नत का अहसास होता है
जहाँ पूजी जाती है कन्याए
वहां पर देवताओं का वास होता है
वो मजबूर नहीं लाचार नहीं बस तुमको दुःख देना नहीं चाहती, वरना औरत तो वो शक्ति है जिसे भगवन ने भी कभी कम करके नही आँका, हर युग में स्त्री का बोलबाला रहा है, चाहे वो देवी हो या इंसान, जब जब हद से ज्यादा प्यार सम्मान मिला, वहां पर साक्षात देवी रूप में अपने कार्य को अंजाम दिया, और जहाँ हद से जयादा अत्याचार हुआ, वहां पल भर में विनाश कर दिया, ये औरत है यारों सर झुकाओगे तो आशर्वाद और प्यार मिलेगा, और औरत को झुकाना चाहा तो तुम्हारा विनाश तय है।
वो साहस है, शक्ति है, वो बलिदानो की मूरत है
हर रूप अलग है नारी का, अरमानो की सूरत है
दिन की रौशनी ख्वाब बनाने में गुजर जाती है
रात की नींद बच्चो को सुलाने में गुजर जाती है
जिस घर के दरवाजे पे उसके नाम की तख्ती नहीं
सारी उम्र उस घर को सजाने में गुजर जाती है
औरत त्याग की वो मूरत है, जो बस देती है और बदले में क्या चाहती है, बस सम्मान और प्यार, इसके अलावा तो कभी उसने कुछ माँगा ही नहीं, आज महिला दिवस पर ये सब बातें क्यों बोल रहा हूँ, इसलिए की जिसने नारी को समझ लिया, उसने दुनिया को जान लिया।
आज नारी किसी से कम नहीं है, हर मुकाम पर अपना परचम लहराया है, और ऊंचाई की बुलंदियों पर अपना नाम लिखवाया है, तुमसे कदम मिलाकर चलने वाली औरत आज बेहतर प्रदर्शन कर रही है, इसलिए कभी भी औरत को निचा दिखने की कोशिश मत करना, हो सके तो सम्मान करो, आदर करो, तुम स्त्री की नजरों में ऊपर उठ जाओगे।
नारी एक माँ भी है, उसकी पूजा करो
एक बहन भी है, उससे स्नेह करो
नारी एक भाभी भी है उसका आदर करो
नारी एक पत्नी भी है उससे प्रेम करो
नारी एक बेटी भी है, उससे लाड करो
आज सभी स्त्रियों, नारियो, बहनो, माताओं और बेटियों को सस्नेह प्रमाण करता हूँ, और महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाए देता हूँ, धन्यवाद।
महिला दिवस पर भाषण Video
Women’s Day Speech for Students/Teachers Speech in Hindi
नमस्कार दोस्तों, मेरे साथियो और मेरे शिक्षकों को प्यारी सी सुबह में सुप्रभात। 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, और आज मुझे इस विषय पर भाषण देने का सुअवसर मिला इसके लिए मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूँ।
मैंने देखा है की हम महिलाओ के साथ हमेशा ऐसा व्यवहार करते है जैसे वो हमसे कमजोर हो, कल की ही बात बताता हूँ, जब मैंने किसी विषय पर अजय से कहा की, ये काम तो अंजलि को बोल देते है वो कर लेगी, तब उसने कहा की नहीं यार ये लड़कियों के बस का नहीं है, अरे लड़की और लड़के में इतना भेदभाव क्यों, उसको वो काम बताया भी नहीं, उससे पहले ही ये कह देना की ये वो नहीं कर सकती, कैसा न्याय है, लेकिन बात यही होती है, बस आप अपनी आँखे खुली रखना, आपको आपके आस पास ही ये सब देखने को मिल जाएगा।
हम क्यों औरत को इतना कमजोर और असहाय समझते है, क्यों कभी उसे मौका नहीं देते, आज तो फिर भी हर जगह महिलाए बढ़ चढ़कर हर काम में हिस्सा लेती है, लेकिन अगर आप इतिहास उठाकर भी देखो तो हमेशा ही औरतो को घर के अंदर बैठने के सिवा कोई कार्य शायद करने ही नहीं दिया गया, इसका दो चार अपवाद हो भी सकता है।
ये जरुरी नहीं की सिर्फ पुरुष ही समाज को बेहतर बना सकता है, बल्कि एक औरत का भी इसमें इतना ही योगदान होता है, समाज, संस्कार और चरित्र के निर्माण में, औरत की भागीदारी अधिक होती है लेकिन, कोई इस्पे तवज्जो नहीं देता, नारी पहले से अधिक शक्तिशाली है लेकिन आज भी उसे और आगे बढ़ाने और लिंग भेद से ऊपर उठाकर, बराबरी का दर्जा देने की जरुरत है।
पहली बार महिला दिवस 1909 में अमेरिका में मनाया गया, और इसे 1977 में 8 मार्च को इंटरनेशनल वीमेन’स डे घोषित किया गया, कारण क्या था, कम वेतन और महिलाओ के उत्पीड़न से त्रस्त महिलाओ ने आवाज उठाई और ये आवाज बुलंद होती गई, आख़िरकार सबको उनकी शर्ते मानने पर मजबूर होना पड़ा और जीत हो गई।
लेकिन क्यों हर बार अपने हक़ के लिए आवाज उठानी पड़ती है, ये समाज को समझना होगा, हमें समझना होगा, आपको समझना होगा और सिर्फ महिलाओ को ही नहीं उन औरतो को भी समझना होगा जो महिला ही महिला की दुश्मन बनी बैठी है, अगर एक लड़की या औरत कुछ करना चाहती है तो दूसरी औरत उसपे सबसे पहले उंगली उठाती है, मगर ये गलत है, क्योकि आज जिस लड़की पर आप उंगली उठाते हो कल वहां पर आपकी बेटी भी हो सकती है, उसे भी आगे बढ़ना होगा और आधुनिक दौर में कदम से कदम मिलाना होगा, इसलिए अपनी रूढ़िवादी सोच को परे रखकर उनका साथ दो।
जहाँ प्यार, प्रेरणा और दोस्ती है
वहां पर हर औरत हंसती है
जहाँ भय, शोषण और हिंसा है
वहां रहने से औरत डरती है
और इसीलिए हमें ये डर निकालना है, प्यार साथ और विकास पे ध्यान देना है, न मैं बड़ा न तुम छोटे का नारा लेकर चलना होगा तभी हम औरत को उसका सही स्थान और सम्मान दिला पाएंगे, बस इतना ही अगर कोई बात बुरी लगी हो तो माफ़ करना, मगर जो दिल से निकलती है बातें वो दूर तलक जाती है, और हमको अहसास दिलाती है, अपने कर्तव्य का, आज एक कसम एक नारा एक इरादा और एक वादा मैं करता हूँ, की मैं हर औरत, लड़की का सम्मान करूँगा उसका साथ दूंगा, उनको प्रोत्साहित करूँगा, धन्यवाद।