Last updated on July 20th, 2024 at 10:54 pm
26 जनवरी पे ये शायरियों वाला बेहतरीन भाषण आपके लिए, इस भाषण में हमने बहुत सी शायरियां आपके लिए शामिल की है, जिन्हें आप मंच पर बोलकर वाहवाही लुट सकते है.
26 जनवरी पर रिपब्लिक डे पर भाषण | गणतंत्र दिवस भाषण 2025
ना शोहरत, ना दौलत, ना कोई ताज चाहिए
मुझे माँ भारती की संतान बना देना
और हो जाऊं अगर मैं शहीद वतन पर तो
मुझे तिरंगा कफ़न ओढ़ा देना
मुंह से निकले ये अल्फाज देशभक्ति से सरोबार होने चाहिए, मंच पे जाए तो ऐसा लगे की कोई तूफ़ान आ गया, देशप्रेम से भिगोने कोई सैलाब आ गया, ऐसी जोशीली शायरिओ से करे मंच संचालन के कार्यक्रम की शुरुआत तो मजा आ जाएगा, की
लड़े जंग वो वीरो की तरह
जब खून खौल के फौलाद हुआ
मरते दम तक डटे रहे वो
तभी तो देश आजाद हुआ
और ये लहराता तिरंगा ही मेरी शान है, इसके तले हमेशा हमारा जीवन आनंदमय रहा है.
मैं अपने प्राण लुटा दूँ, इस तिरंगे की आन में
ताक रही है सारी दुनियां, आज हिंदुस्तान में
आजादी का पर्व सुहाना, आज मनाते हम सारे
लेकिन इसका मोल छुपा है, वीरो के बलिदान में
बिना बलिदान के कभी आजादी नहीं मिलती और बिना मेहनत के कभी कामयाबी नहीं मिलती, देश का हर सिपाही अपनी जान की बाजी लगाता है और देश पे मर मिटता है, तभी ये तिरंगा आसमान में लहराता है.
हाथ तिरंगा लेकर सबसे, आगे चला जवान
तिन रंग का ध्वज हमारा, है भारत की शान
चक्र सिखाता चलते जाना, रुकना कहीं न यारो
सत्य शांति अहिंसा जिसमे, है भारत देश महांन
सदा गगन में जो लहराए, आसमान को चूमे
देख देख अल्हड़ता इसकी, ख़ुशी में मन झूले
शान ए तिरंगा कहलाता, भारत का सरताज
देशप्रेम का ये है प्रतिक, वंदन करके छू ले
ये आजादी के मतवालों की आवाज है जो हमेशा हमारे कानो में गूंजती रहती है, जोश भर देती है सीनो में तूफान उठा देती है, कायर और बुजदिल को भी ये पल में शेर बना देती है, ऐसे शूरवीरो की गाथाए है जो हिंदुस्तान के हर घर में सुनाई जाती है की,
धड़कते दिलो में, अरमान लिए चलते है
सर पे कफ़न हाथो में, जान लिए चलते है
राह उनकी भी रोज, देखता है कोई मग़र
फर्ज की राह में इश्क़, कुर्बान किए चलते है
अश्क आंखों से टपके तो, सैलाब आ जाता है
एक एक लफ्ज से जिनकी, इंकलाब आ जाता है
मौत छू कर खुद ही सिहर जाती है जिनको
नाम आए गर जबाँ पर, तो देशप्रेम का ताब आ जाता है
जो जागे तो मिट्टी को नमन करते है, सो जाए तो तिरंगे का अरमान करते है, ऐसे मतवालों के दिल की सदा आज सुनाता हूँ की,
देशप्रेम की ज्योति जिनके, दिल में जला करती है
चिर के देखू सीना तो, भारत की तस्वीर मिला करती है
खेलते है वो खून की होली, खाकर सिने पर गोली
मिलता कफ़न तिरंगा जिनकी, तक़दीर खिला करती है
वतनपरस्ती जिनके लहू में, देशप्रेम की बाते है
वन्दे मातरम् और जय हिन्द, हरदम ही जो गाते है
जिनका रिश्ता भारत माँ से, सीमाओं से नाते है
सलाम उन्हें है लख लख मेरा, जो परचम लहराते है
जिनकी रगों में खून नहीं, बारूद बहा करता है
कफ़न तिरंगा हो मेरा जो, हरपल तमन्ना करता है
वो है सिपाही भारत का जो, सीमा पे पहरा देता है
कभी झुके न शान ए भारत, यही कामना करता है
इस तरह की शायरियो के साथ भाषण दे तो पूरी सभा में तालियों की गूँज जरूर सुनाई देगी.
जय हिन्द, वन्दे मातरम