Last updated on July 18th, 2024 at 03:40 pm
23 मार्च को भारत शहीद दिवस ( Shaheed Diwas )के रूप में याद करता है, जिसे Martyr’s Day (शहीद दिवस) भी कहते हैं। इस दिन हम उन बहादुर लोगों को याद करते हैं जिन्होंने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दि। इस दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई ये वो ही दिन है। ये तीनो देश के आजादी के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने वाले थे। उनका योगदान आज भी हमें विश्वास देता है कि हम सही और गलत के बीच खड़े हो कर न्याय के लिए लड़ सकते हैं। इस दिन को इंडिया हर शहीद को याद करता है, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी और हमारी आजादी के लिए अपनी जिंदगी समर्पित की।
23 March Shaheed Diwas 23 मार्च शहीद दिवस
भगत सिंह, सुखदेव थापर, और शिवराम राजगुरु, जिनहोने 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ अपने जीवन की कुर्बानी दी थी, उनकी बहादुरी त्याग और बलिदान का आज के दिन हम सम्मान करते है।
शहीद दिवस याद दिलाता है कि आजादी के लिए लड़ने वाले अनेक पुरुष और महिलायों का संघर्ष और कुर्बानियों का सम्मान करना हमें कभी भूलना नहीं है। उनकी कुर्बानी और आजादी के लिए लगाव और किए गए कार्य आज भी हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
भारत का आजादी आंदोलन, सिर्फ एक राजनीति का आंदोलन नहीं था, बाल्की ये एक ऐसा आंदोलन था जिसे सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक आजादी की इच्छा से जोड़ा गया था।
लेकिन ब्रिटिश सरकार ने हिंसा और दबाव के जवाब में कठोर करवाई की, जिसके कारण जलियांवाला बाग का खून खराबा और बहुत से अत्याचार हुए। और इसने स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत पैदा की, जिसके लिए कुछ नेताओं ने जैसे को तैसा वाली बात के प्रयोग की सिफारिश की।
भगत सिंह भी ऐसे नेता थे, जो स्वतंत्रता के लिए लड़ाई का प्रयोग करना सही मानते थे। वो एक क्रांतिकारी समाजवादी थे, जो ब्रिटिश सत्ता को किसी भी तरह से हटाना चाहते थे।
शहीद दिवस पर, हम भगत सिंह, सुखदेव थापर, और शिवराम राजगुरु के अलावा, अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद करते हैं, जिन्होनें भारत की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
Bhagat Singh Shaheed Diwas भगत सिंह शहीद दिवस
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को एक छोटे से गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्होंने एक क्रांतिकारी समाजवादी का रोल निभाया था, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वापूर्ण भूमिका थी। उन्हें समाजवाद और अराजकतावाद के विचारों ने प्रभावित किया और उन्हें लगता था कि समाज में असली बदलाव सिर्फ एक क्रांति ही ला सकती है।
23 साल की उम्र में, भगत सिंह को ब्रिटिश सत्ता के जुल्म की सजा सुनायी गई थी और वह राजगुरु और सुखदेव के साथ मिलकर 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिए गए थे। उन पर ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर की हत्या का आरोप लगाया गया था और अंत में मौत की सजा सुनायी गई।
भगत सिंह सिर्फ एक क्रांतिकारी नहीं थे, बाल्की वे एक बहुत अच्छे लेखक भी थे, जो ब्रिटिश के खिलाफ अपने पेन का प्रयोग करते थे। उन्होन विभिन मुद्दे पर विस्तार से लिखा था, जैसे कि भारत में समाजवादी क्रांति की आवश्यकता, भारतीय श्रमिक की सत्ता का प्रयोग और महिलाओं के ऊपर अत्याचार।
उनका एक प्रसिद्द विचार ये था की, “वो मुझे मार सकते है मगर, मेरा विचार नहीं मार सकते। वह मेरी शरीर का कुछ कर सकते हैं, पर वह मेरी आत्मा को नहीं कुचल सकते।” इस पंक्ति से उनके भारतीय आज़ादी के प्रति अटल संकल्प और उनके विचारों में शक्ति का विश्वास झलकता है।
भगत सिंह की कुर्बानी और उनके विचार आज भी लाखों भारतीयो को प्रेरणा देते हैं। शहीद दिवस, भगत सिंह के अलावा भारत की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले सभी बहादुर पुरुष और महिलाओं को याद करने और उन्हें श्रद्धांजली देने का अवसर है।
Shaheed Diwas Quotes शहीद दिवस पर शायरी
चाहत अमन की है, मगर दुश्मन तैयार नहीं
समझेगा तलवार से, समझता वो प्यार नहीं
मिट जाएंगे मगर हम, फिर उग जाएंगे फसलों में
खुश्बूं बनकर महकेंगे, आने वाली उन नस्लों में
वक्त की बात है की आज पलड़ा तेरा भारी है
हुकूमत आएगी हमारी भी, प्रयत्न हमारा जारी है
बस एक ही ख्वाब पाला है इन आँखों ने
आजाद भारत की हो ये धरा
मौत का भी नहीं कोई गम है यारो
चरणों में माँ भारती के शीश धरा
शहादत हमारी एक नया रंग लाएगी
तस्वीर भारत की बदल जाएगी
बेड़िया आज है कदमो में जकड़ी हुई
कल हर जंजीर टूट के बिखर जाएगी