मिच्छामि दुक्कडम पर्युषण पर्व क्षमा प्रार्थना | Micchami Dukkadam

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Last updated on July 17th, 2024 at 03:45 pm

 मिच्छामि दुक्कडम पर्युषण पर्व Micchami Dukkadam

जैन धर्म का पर्वाधिराज कहा जाने वाला ये पर्युषण पर्व क्या है और मिच्छामी दुक्कड़म क्यों कहा जाता है, आज इन सारी बातों पे चर्चा करेंगे, साथ ही आपके लिए मिच्छामी दुक्कड़म के लिए बेहतरीन शायरियाँ भी लेकर आए है, जो आप किसी भी स्टेज या मंच पे बोल सकते है.

पर्युषण पर्व कब मनाया जाता है

2022 में 24 अगस्त से, पर्युषण पर्व की शुरुआत हो जाएगी, इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पुरे 10 दिनों तक मनाया जाता है. इस पर्व का समापन 10 दिनों के बाद यानी की ठीक 9 अगस्त 2022 को, अनंत चतुर्दशी के दिन होगा.

मिच्छामी दुक्कड़म कब मनाया जाता है

वार्षिक जैन टिपण्णी अंतिम दिवस पर मिच्छामी दुक्कड़म प्रयोग किया जाता है, पर्युषण पर्व में श्वेताम्बर और दिगंबर जैन मुनियों के द्वारा. एक गुरु या मंदिर से पहले एक तीर्थकर की छवि के बाद, वर्षाऋतू मानसून में
चातुर्मास के दौरान संध्या काल को आयोजित किया जाता है.

मिच्छामि दुक्कड़म का मतलब क्या होता है?

मिच्छामी दुक्कड़म का अर्थ है क्षमा मांगना, जाने अनजाने में किसी का दिल या मन दुखी हुआ हो तो, उसके लिए क्षम याचना करना ही, मिच्छामी दुक्कड़म का मतलब है.

ये पर्व महान माना जाता है क्योकि इस पर्व को आत्मशुद्धि का पर्व भी कहा जाता है, जहाँ मन से सारे मेल निकाल कर दिल साफ़ किया जाता है, एवं हर छोटे बड़े और जान पहचान वाले से क्षमा मांगी जाती है.

पर्युषण के अंतिम दिन को क्या कहते हैं?

इस दिन इस त्यौहार का समापन होता है, इसे संवत्सरी समारोह भी कहते है.

पर्युषण क्यों मनाया जाता है?

पर्युषण पर्व क्षमा करने और क्षमा लेने का पर्व है, पश्चाताप का पर्व है, आत्म चिंतन और आत्म शुद्धि का पर्व है, इस दौरान उपवास, पूजा और भगवंत भजन किए जाते है.

Micchami Dukkadam

 

पर्यूषण पर्व का दूसरा नाम क्या है?

अष्टान्हिका श्वेताम्बर समाज के लोग कहते है, ये 8 दिनों तक पर्युषण पर्व मनाते है, जबकि दिगंबर 10 दिनों तक, इसलिए इसे वे दक्षलक्षण कहते है. ये दसलक्षण इस प्रकार है: क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, संयम, शौच, तप,
त्याग, आकिंचन्य, और ब्रह्मचर्य.

दशलक्षण पर्व क्या है?

दशलक्षण पर्व के प्रथम यानी की पहले दिन उत्तम क्षमा, दुसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन को उत्तम आर्जव, चौथे दिन को उत्तम सत्य, पांचवे दिन को उत्तम शौच, छठे दिन को उत्तम संयम, सातवे दिन को उत्तम तप, आठवे दिन को उत्तम त्याग, नौवे दिन को उत्तम आकिंचन एवं दसवे दिन को ब्रहमचर्य और अंतिम दिन को
क्षमावाणी के रूप में मनाया जाता है.

पर्युषण पर्व की शुरुआत किसने की थी?

शास्त्रों में कहा गया है की भगवान महावीर भाद्रपद की शुकल पंचमी को पर्युषण प्रारंभ करते थे.

जैन धर्म से आप क्या समझते हैं?

जैन धर्म का पालन बड़े ही अनुशाशन एवं सख्ती से किया जाता है, जैन धर्म का अर्थ है, ‘जिन’ भगवान का धर्म जैन धर्म में अहिंसा मूल सिद्धांत है, दया भाव हर प्राणी एव जिव जंतु विशेष के लिए करुणा ही जैन धर्म को ख़ास बनाता है.

जैन मुनि कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं?

जैन धर्म के मुनि कपडे नहीं पहनते क्योकि, उन्हें किसी भी सम्पति की अनुमति नहीं है, नग्न रहना में एक विचार ये भी है की वो शील और शर्म जैसी भावनाओं से परे है, और सिर्फ प्रभु भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति ही लक्ष्य है.

मिच्छामी दुक्कड़म शायरी

माफ़ करो और माफ़ी दो, जियो और जीने दो

मिच्छामी दुक्कड़म सभी को, प्रेम से रहने दो

भूल हुई तो माफ़ करना, माँगू मैं क्षमा तुमसे

ह्रदय पट को खोल के, मन की बात कहने दो

 ✰✰✰✰✰

माफ़ किया तो घटे नहीं, प्रेम ही बढ़ता जाए

दूर थे जो आज तक वो, और करीब आ जाए

अंतर्मन की ख़ुशी यही, भूलो और भुलाओ

गले लगाके हंस दो तो, रंग अनोखा छा जाए

 ✰✰✰✰✰

भूलो का पुतला है मानव, भूल सभी से होती

भूल सुधारे वो मानव ही, विभूति बन जाती

साथ नहीं कुछ ले जाए, यही पड़ा रह जाना

क्षमादान और प्रेमभाव से, ख्याति बढती जाती

 ✰✰✰✰✰

जैन धर्म का नगीना, है ये पर्युषण पर्व

हर जैनी को नाज है, होता इसपे गर्व

जैनम जयति शासनम, गूंजे यही वाणी

जीवदया जैन धर्म में, जाने सबका मर्म

 ✰✰✰✰✰

करू निवेदन हाथ जोड़, क्षमा करो मेरी भूल

चेहरे की तरह दिल से, साफ़ करो सब धुल

मिच्छामी दुक्कड़म आप को, कर लो स्वीकार

क्षमादान सबसे बड़ा, हो ज्यूं काँटों में फूल

 ✰✰✰✰✰

कहीं भूल से आपका, मैंने दिल दुखाया हो

कठोर वचन कहके मैंने, मन को ठेस लगाया हो

नादान समझ के माफ़ करो, दयालु ह्रदय हो आप

पर्युषण पर्व को मन में, आपने गर बसाया हो

 ✰✰✰✰✰

नवकार है मेरी साँसे, जैन धर्म विश्वाश

तीर्थकर वो करुणाकर, उससे मेरी आस

है दुनियाँ नाव ग़मों की, वो है तारणहार

मेरा प्रभु मेरे मन में, वो ही मेरा है ख़ास

 ✰✰✰✰✰

मिच्छामी दुक्कड़म सभी को, मन वचन काया से

जो मिल जाए दो शब्दों में, नहीं मिलता माया से

धार अगर ले मन में अपने, धर्म पथ पर चलना है

हाथ थाम के पार उतारे, तुझको वो मोहमाया से

 ✰✰✰✰✰

ऐसी वाणी क्या बोले जो, मनको बड़ा सताए

द्वेष आग में खुद जले, औरो को भी तडपाए

मीठा बोलो ऐसे की, हर मन अमृत घोले

गैरो से भी बात हो तो, अपना वो बन जाए

 ✰✰✰✰✰

लाख करोड़ी माया तेरी, यही पड़ी रह जानी

योगी ही ये समझ सके, तू क्या समझे जिनवाणी

मेरा तेरा करते रहना, है सबसे बड़ी नादानी

बैर भाव त्याग रे बन्दे, छोटी सी है जिंदगानी

मिच्छामी दुक्कड़म विडियो भी देखे और शेयर करें

Hi, I'm Hitesh Choudhary (Lyricist), founder of NVH FILMS. A blog that provides authentic information, tips & education regarding manch sanchalan, anchoring, speech & public speaking.

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