Last updated on July 20th, 2024 at 12:51 am
होली के त्यौहार पर आपको बोलने के लिए शायरी की जरुरत होती है, लेकिन बार बार अगर आप सुनी सुनाई शायरियां बोलते है तो दर्शको पर उसका प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए आप कोशिश करे की हमेशा नई नई शायरी बोलते रहे इससे उनपे गहरा असर पड़ेगा और एक न मिटने वाली अमिट छाप उनके दिलो पे रह जाएगी, की भाई ये बंदा अगर स्टेज पर आया है तो कुछ नया सुनने को मिलेगा, इसलिए आपके कार्यक्रम को खास बनाने के लिए इस बार कुछ बेहतरीन शायरियां लिखी है, जो आपके सामने पेश करता हूँ।
आज होली के इस अवसर पर ये रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया है, और इस कार्यक्रम की भव्यता को देखकर अंदाजा लगा सकता हूँ की इसे बड़े दिल से तैयार किया गया है, और हो भी क्यों न, जिस जगह आप जैसे श्रोता मौजूद हो वहां पर ऐसे कार्यक्रम जरूर होने चाहिए।
होली शायरी
रंग डार दिया दिल पे, अपनी मोहब्बत काके याद नहीं हमको, किसकी मदहोशी हैऔर चुप न रहिए, कुछ बोल दो जनाबतालियां बजाओ आप, क्यों इतनी ख़ामोशी है
चलिए अब इस कार्यक्रम की शरुआत करते है और आपको इस मंच की भव्यता को दिखाते है,
यहाँ वो कलाकार आएँगे जिन्हे, देखने सुनने को कतार लगती है
और जब करते है पेश नृत्य को, तो दिल पे तेज कटार लगती है
रोम रोम से बज उठते है सुर कई, जब तान कानो में घुलती है
बढ़ जाता है हौसला कई गुना, जब आपकी तालियां बज उठती है
प्रेम का आलम है, मोहबत का पैगाम है
चाहत की खुशबु है, इश्क का सुरूर है
इसीलिए तो दुनियाभर में, होली मशहूर है
राधा का कन्हैया से, मीरा का माधव से
सत्यभामा का श्याम से, नरसी का राघव से
ये नाता दिलो का, तोडा कभी जाता नहीं
उनसे रिश्ता हमारा है, भगवान का साधक से
आप भी खेले हो होली और चेहरे लाल गुलाबी करके आए हो,
क्या छुपा रहे हो यारों, क्या कहीं नजरे चार करके आए हो
और होली के इस प्रोग्राम में आप ये शायरी भी जरूर बोले के,
इश्क और प्यार का, जहाँ में बोलबाला है
राधा का दीवाना तो, वो मेरा कान्हा काला है
न रंग न रूप न दौलत, कभी प्यार देखता है
कर बैठा जो इश्क यारो, वो बड़ा दिलवाला है
रंगो से भरी पिचकारी, लेकर के टोली आ गई
शर्म से झुकी नजरे मगर, वो सारी भीगा गई
गहरा है रंग प्रेम का, अब छूटे से न छूटेगा
हाय ये होली भी कैसी, बेचैनी मन में जगा गई
मन में प्रेम का रंग भरना, दिल में एक उमंग भरना
नफरतो से हासिल कुछ नहीं, जीवन में तरंग भरना
फिर मिलेंगे हम जहाँ में, किसी मोड़ पर अगर तो
लग जाना गले से आके, न मन में कोई रंज भरना
और आखरी शायरी पेश करके विदा लूंगा की,
होली दिल में न जलाओ, नफरतो को भुलाओ
डाल दो रंग प्यार का और, सबको गले लगाओ
यही हमारी परम्परा है, यही मानवता का नारा है
भूल हो गई गर किसीसे तो, रंगो से उसे मिटाओ
आशा करता हूँ की ये शायरी आपके होली कार्यक्रम को और रंगीन बना देगी।