Holi Kab Hai Date and Muhurat | होली कब है तारीख व मुहूर्त | Holi Wishes New

Last updated on July 13th, 2024 at 01:28 am

 Holi

होली रंगों का त्यौहार है, रंग जीवन का आधार है और बिना रंगों के तो ये सारी
दुनियाँ सुनी सुनी सी लगती है, लेकिन हमारे भारत वर्ष में हर एक चीज का ख़याल
रखा गया है, और इसीलिए रंगों का भी एक उत्सव एक त्यौहार हम मनाते है, जिसे हम
होली कहते है.


Holi Kab Hai Date


    2023 Mein Kab Hai Holi. 2023 में होली कब है तारीख


    होली वैसे तो हर साल हम फागुन महीने में ही मनाते है और, इस बार भी होली फागुन
    महीने में ही है, बस तारीख बदल जाती है.


    होली का पावन पर्व फागुन महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है, और
    2023 के वर्ष में ये त्यौहार बुधवार के दिन 8 मार्च को मनाया जाएगा.


    7 मार्च के दिन होलिका दहन किया जाएगा और  8 मार्च के दिन रंगोत्सव यानी की
    होली मनाई जाएगी, जिसे कई जगहों पर धुलंडी या धुलेटी भी कहते है.



    इस दिन हम एक दुसरे को रंग लगाते है और, बैर भाव भुला के एक दुसरे के गले
    मिलते है, साथ ही दोस्ती की और रिश्तो की एक नई शुरुआत करते है.


    Holika Dahan Kab Hai 2023. होलिका दहन कब है 2023


    2023 को बुधवार के दिन होलिका दहन है, इस दिन होली जलाई जाती है, इसके पीछे
    भी एक कथा है, जो हम आपको आगे बताएंगे.



    होलिका दहन के समय शुभ मुहूर्त में होली जलाई जाती है, और फिर सभी लोग होलिका
    पूजन करते है, होली की परिक्रमा करके जल अर्पण किया जाता है, और नारियल इत्यादि
    होलिका में चढ़ाए जाते है.


    Holika Dahan Shubh Muhurat 2023. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2023


    होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2023 में बुधवार को है, बुधवार 7 मार्च को ये
    शुभ पल आने वाला है और इसी शुभ मुहूर्त के पल में होलिका जलाई जाएगी.


    शुभ मुहूर्त: रात 6 बजाकर 24 मिनट और 31 सेकंड पर शुरू होगा, और 8 बजकर 51
    मिनट और 30 सेकंड पर समाप्त होगा, इसी शुभ मुहूर्त के बिच ही होलिका दहन का
    कार्य किया जाएगा.


    Holika Dahan Kyo Karte Hai Katha. होलिका दहन क्यों करते है कथा


    बहुत समय पहले की बात है की एक बहुत ही बड़ा भक्त हुआ जिसका नाम हिरणाकश्यप था,
    उसने कई वर्षो तक भगवान की घोर तपस्या की, और इसी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान
    प्रकट हो गए.


    और कहा की हिरणाकश्यप मांग क्या चाहिए तुझे, धन, दौलत, ऐश्वर्य जो भी तुझे
    मांगना हो मांग ले, हम तेरी भक्ति और कठोर आराधना से प्रसन्न हुए.


    तब राजा हिरणाकश्यप ने कहा की प्रभु मुझे वचन दीजिए की, मैं जो भी मांगूंगा वो
    आप मुझे देंगे, ना नहीं करेंगे, तभी मैं आपसे कुछ मांगूंगा.


    इस पर भगवान ने कहा की बस इतनी सी बात, मैं वचन देता हूँ की तू जो भी मांगेगा,
    वो मैं तुझे दूंगा, मांग हिरणाकश्यप क्या मांगना है.


    तब हिरणाकश्यप ने कहा की प्रभु, मुझे ऐसा वरदान दो की मुझे कोई मार न सके, मैं
    अमर हो जाऊं. तब भगवान ने कहा की ये तो असंभव है, क्योकि जो जन्मा है उसका अंत
    तो निश्चित है, ये प्रकृति के खिलाफ है, कुछ और मांग.


    तब हिरणाकश्यप ने कहा की नहीं भगवन मुझे तो ये ही वर चाहिए, अगर आप ये वर नहीं
    दे सकते तो, ऐसा कीजिए की, मुझे देवता, दानव, गन्धर्व या कोई मनुष्य न मार सके,
    कोई जानवर न मार सके, मुझे कोई आकाश में न मार सके, धरती पर न मार सके, घर के
    अन्दर न मार सके, घर के बाहर न मार सके, न दिन को मार सके न कोई रात में मार
    सके.


    तब भगवान ने कहा की ठीक है, तथास्तु, ऐसा ही होगा, और प्रभु अंतर्ध्यान हो
    गए.


    तब हिरणाकश्यप को बड़ा गुमान हुआ उसके अन्दर अहंकार आ गया की अब मुझे कोई मार
    नहीं सकता, और उसने पाप करना शुरू कर दिया, पुरे शहर में ढिंढोरा पिटवाया की,
    आज से कोई भी भगवान की पूजा अर्चना नहीं करेगा, मैं ही तुम्हारा भगवान हु, मेरी
    पूजा करो, और जो ऐसा नहीं करेगा उसको मार दिया जाएगा.


    उसके पापो का बोलबाला था, और वो दिन प्रतिदिन इसमें बढ़ोतरी करता जा रहा है,
    लेकिन कहते है की हर चीज का अंत होना निश्चित है, और एस ही हुआ, हिरणाकश्यप के
    घर एक बालक पैदा हुआ जिनका नाम था प्रहलाद.


    प्रहलाद धीरे धीरे बड़ा होता गया और वो भगवन की भक्ति करता था, तो पिता ने उसे
    भी बहुत समझाया लेकिन वो नहीं माना, उसने कहा की आप पिता है, मेरे लिए पूजनीय
    है, भगवान समान है, और मैं आपका पुँजन भी करूँगा लेकिन, प्रजा को मत सताइए
    क्योकि वो भगवान का भजन करना चाहती है, इस तरह के वाद विवाद से पिता पुत्र में
    अनबन हो गई.


    कई बार भक्त प्रहलाद को यातनाए दि गई, पहाड़ से फेंका गया तो पहाड़ रुई का गद्दा
    बन गया, और ऐसी बातो से प्रहलाद का भगवान में विश्वाश और भी बढ़ता गया, और वो और
    भी मन से दिन रात प्रभु भक्ति में लीं होता गया.


    एक दिन हिरणाकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया जिनको वरदान मिला हुआ था की
    वो, आग से जल नहीं सकती.


    हिरणाकश्यप ने कहा की बहन होलिका प्रहलाद हमारे कहे अनुसार नहीं चल रहा है, और
    जब घर का ही कोई व्यक्ति हमारी बात नहीं मान रहा है तो, बाहर वाला कैसे हमारे
    सुन सकता है, इसलिए तुम प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाओ और एक बड़ी चिता पे बैठो,
    तुम्हे तो कुछ होगा नहीं कियोकी तुम्हे वरदान मिला हुआ है, और प्रहलाद को ख़त्म
    करना बहुत जरुरी है, तब होलिका ये बात मान लेती है.


    Bhakt Prahlad Story



    बहुत ऊँची और बड़ी चिता सजाई जाती है और सारे नगर वासियों के समक्ष होलिका अपनी
    गोद में प्रहलाद को लेकर बैठती है, और फिर चिता में आग लगाईं जाती है, लेकिन
    कहते है की भगवान भक्त को जरुर बचाते है, और वही हुआ, होलिका को वरदान होने के
    बावजूद होलिका उस चिता में जल जाती है, और भक्त प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं
    होता, वो सकुशल उससे बाहर निकल आता है.


    बस इसी दिन से होलिका दहन मनाया जाता है, क्योकि असत्य पर सत्य की अधर्म पर
    धर्म की जीत हुई थी, भक्त प्रहलाद की कथा आगे और भी है.


    फिर एक दिन राजा हिरणाकश्यप एक लोहे का खम्बा गरम करवाता है जो इतना गर्म होता
    है की अगर कोई उसे छू भी ले तो वो भस्म हो सकता है, फिर प्रहलाद को बुलाया जाता
    है और हिरणाकश्यप कहता है की अगर तेरे भगवान में इतनी शक्ति है तो चल इस खम्बे
    को गले लगा ले, मैं भी देखता हूँ की कौन सा तेरा भगवान तुझे बचाने के लिए आता
    है.


    तब भक्त प्रहलाद खम्बे के पास जाता है, एकदम लाल अंगारों सा दहकता खम्बा देखकर
    किसीकी भी रूह काँप उठेगी, लेकिन जब प्रहलाद को खम्बे पे चींटिया चलती हुई नजर
    आती है तो, उसे अपने प्रभु पे भरोसा हो जाता है, की जब चींटियाँ गरम खम्बे पे
    चल रही है तो मेरे प्रभु मुझे भी तार लेंगे, वो तो मेरे पालनहार है, तो वो भक्त
    को कैसे मरने दे सकते है.


    और जैसे ही भक्त प्रहलाद गर्म खम्बे को अपनी नन्ही सी बाहों में भरने जाते है
    तो एक बहुत ही भीषण गर्जना के साथ वो खम्बा दो टुकडो में टूट जाता है.


    पूरा सभाग्रह दहल उठता है, और भयवश कांपने लगता है, मगर प्रहलाद अपने मुख से
    नारायण नारायण का जाप करते हुए दोनों हाथ जोड़े खड़े थे.


    तभी उस खम्बे में से एक ऐसा विचित्र कौतुहल जगाने वाल द्रश्य देखनेको
     मिलता है, उसमे से जो बाहर निकलते है, उनका शरीर तो नर का था, मगर चेहरा
    शेर का था, हाथ पैर मनुष्य के थे मगर पंजे शेर के थे.


    नरसिम्हा का अवतार, जो आधा मनुष्य और आधा शेर था, भगवान विष्णु के इस रूप को
    देखकर जहाँ भक्त प्रहलाद ख़ुशी व आनंद से झूम रहा था, वही बाकी सभी लोग मारे डर
    के काँप रहे थे, भयभीत हो रहे थे.


    नरसिम्हा आगे बढे और हिरणाकश्यप को एक हाथ से उठाते है तब हिरणाकश्यप कहते है
    की, आप मुझे नहीं मार सकते क्योकि मुझे ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त है, तब
    भगवान विष्णु कहते है की ब्रह्मा जी के उसी वरदान को ध्यान में रखते हुए हमने
    ये रूप धारण किया है, और उसी के हिसाब से तेरा अंत होगा.


    फिर भगवान विष्णु उसे दरवाजे के बिच में अपनी जांघो पर लिटाते है और कहते है
    की बोल, तू धरती पर है की आकाश में तो वो कहता है की न धरती पर न आकाश में, आगे
    कहते है की तू घर में है घर के बाहर तो कहता है की न घर में हूँ न घर के
    बाहर.


    तब फिर कहते है की दिन है या रात, तो कहता है की न दिन है और न रात, तब कहते
    है की मैं देव, दानव, गन्धर्व, मनुष्य या जानवर कौन हूँ, तब कहता है की आप इनमे
    से भी कुछ नहीं है तब कहते है की अब तेरा अंत करने जा रहा हूँ, न तो तुझे किसी
    शस्त्र से मारूंगा न ही किसी अस्त्र से, तेरा अंत तेरा पेट व छाती फाड़ के
    करूँगा.


    और फिर भगवान नरसिम्हा अपने नाखुनो से हिरणाकश्यप का वध करते है, इस तरह भक्त
    को बचाने भगवान आए और भक्त व धर्म की जीत हुई.


    Holika Dahan Koun Si Disha Me Shub Hai  होलिका दहन कौन सी दिशा में शुभ है


    कहते है की जब होलिका दहन किया जाता है तो उससे पुरे साल भर का भविष्य ज्ञात
    हो जाता है की, आने वाला वर्ष हम सबके लिए शुभ होगा या हमें किसी कठिनाई का
    सामना करना पड़ेगा.


    होलिका से उठने वाली लपटे कौन सी दिशा में अपना रुख करती है इसी से हम अनुमान
    लगाते है, और आगे के बारे में निश्चिंत हो जाते है


    अगर होलिका की अग्नि पश्चिम दिशा की तरफ उठती है तो आर्थिक स्थति में सुधार की
    गुंजाइश होती है, वही अगर अग्नि की ज्वालाए उत्तर की तरफ उठती हुई दिखाई दे जाए
    तो, कहते है की सुख शांति बनी रहती है, वही अगर लपटे दक्षिण दिशा की और उठे तो,
    उसे अच्चा नहीं माना जाता है, इसके विपरीत अगर ज्वाला पूर्व की और उठे तो,
    अच्छे रोजगार व स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ माना जाता है.


    Holi Par Nibandh Essay on Holi  होली पर निबंध


    रंगोत्सव यानि की होली, रंगों का एक पर्व जो भारतवर्ष में बड़े धूम धाम से
    मनाया जाता है, इस दिन सभी के मुखड़े रंग बिरंगे हो जाते है, सभी एक दुसरे को
    रंग लगाते है.


    जाती पाती का भेद भाव छोड़ कर सब एक दुसरे को गले लगाते है, बधाई देते है और
    खुशियाँ मनाते है, ये एक भाईचारे को बढ़ाने वाला त्यौहार है, जिसमे आपसी एकता और
    सम्बन्ध मजबूत बनते है.


    लोग इस दिन अपनी दुश्मनी भुला कर एक दुसरे को रंग लगाते है, और एक नए रिश्ते
    का शुभारम्भ करते है.


    पहले के जमाने जहाँ रंग सिर्फ गुलाल या प्राकृतिक ढंग से ही तैयार किए जाते
    थे, वही आज के इस युग में लोग कई तरह के आर्टिफ़िशियल रंग लगाते है, जिसके कारण
    लोगो को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से
    सही नहीं है.


    ये रंगों का त्यौहार है हंसी ख़ुशी का पर्व है, तो इस दिन सभी लोग खुशियाँ ही
    मनाते है रंग लगाते है, और नाचते गाते है, कई जगहों पर आयोजन भी किये जाते है,
    जिसमे कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते है, जिसमे नाच गाना, हंसी
    ठिठोली शामिल होता है.


    बच्चे तो दो चार दिन पहले से ही इसकी तयारी में लग जाते है, और बहुत ही आनंदित
    होते है, बस इसी तरह हर वर्ष आप भी होली का ये दिलखुश पर्व मनाए, अपनों के संग
    और खुशियों से जिंदगी जीए.

     

    Wishes On Holi होली पर बधाई शायरी


    रंग भरे इन पलो को आओ, जीवन में भी उतार ले

    दुश्मन को भी गले लगा के, आओ जिंदगी संवार ले

    जात पात और उंच नीच की, आओ दीवार गिरा दे


    रंगी करके सारा आलम, खुशियों को निखार ले


    rang bhare in palo ko aao, jivan me utaar le

    dushman ko bhi gale laga ke, aao jindagi sanwar le

    jaat paat aur oonch nich ki, aao deewar gira de

    rangi karke saara aalam, khushiyo ko nikhar le


    खुशियों के रंगों में आओ सारे जहाँ को रंग ले

    अपना पराया सब को आज अपने हम संग ले

    गाए ऐसे गीत की जिसमे खुशियों के खजाने हो

    मिलाए दिल दिल से जिसमे हंसी के तराने हो


    khushiyo ke rango me aao saare jahan ko rang le

    apna paraya sab ko aaj apne ham sang le

    gaaye aise geet ki jisme khushiyo ke khazane ho

    milaye dil dil se jisme hansi ke tarane ho


     वृन्दावन की महक, बरसाने की फुहार

    राधा का भरोसा, कान्हा का प्यार

    गोकुल की खुशबु, मथुरा का हार

    मुबारक हो आपको होली का त्यौहार


    vrindavan ki mahak, barsaane ki fuhar

    radha ka bharosa, kanha ka pyar

    gokul ki khushboon, mathura ka haar

    mubarak ho aapko holi ka tyohaar


    होली तो एक होने का, संग रहने का त्यौहार है

    इस मस्ती में झूम रहा ये सारा ही संसार है

    खुशियों के संग मस्ती भी बेशुमार भरपूर है

    इस होली के पलो में भरा हुआ ये प्यार है


    holi to ek hone ka, sang rahne ka tyohar hai

    is masti me jhum raha ye sara hi sansar hai

    khushiyo ke sang masti bhi beshumar bharpur hai

    is holi ke palo me bhara hua ye pyar hai



    होली की शायरी


    मन का उल्लास है होली

    सभी रंगों का रास है होली

    जीवन में खुशियाँ भर देती है

    इसीलिए तो खास है होली


    man ka ullas hai holi

    sabhi rango ka raas hai holi

    jivan me khushiyan bhar deti hai

    isiliye to khas hai holi


    खुशियों से भर जाए आपकी झोली

    हमेशा मीठी रहे आपकी बोली

    आप सभी को मेरी तरफ से

    हैप्पी होली हैप्पी होली हैप्पी होली


    khushiyo se bhar jaaye aapki jholi

    hamesha mithi rahe aapki boli

    aap sabhi ko meri taraf se

    happy holi happy holi


    पिचकारी की धार में भरा हुआ है प्यार

    ये होली तो होती है बस रंगों का त्यौहार

    राधा के संग कान्हा खेल रहे है होली

    इनके प्यार प्रेम पे ही झूम रहा है संसार


    pichkaari ki dhar me bhara hua hai pyar

    ye holi to hoti hai bas rango ka tyohar

    radha ke sang kaanha khel rahe hai holi

    inke pyar prem pe hi jhum raha hai sansar


    शरारती होली शायरी


    रंग डाल के आज हम, रंगीन ज़माना कर देंगे

    तेरे दिल को अपनी नजरो का निशाना कर देंगे

    खेल होली या मत खेल, हमें कोई फर्क नहीं है

    बस तेरी गली से गुजर के, मुक्कमल फ़साना कर
    देंगे


    यार तेरी गली में आने का बस एक ही तो ये दिन है

    कोई न पूछे वजह ये प्यारा एक पल छीन है

    नजरे मिला के आओ हम भी आज राधा कान्हा बन जाए

    प्यार करने वालो के लिए तो बस यही मधुबन है


    मिलके तुझसे हम तो बस, तुझे एक रंग कर डालेंगे

    होगा हाथो में हाथ तो कैसे, खुदको हम संभालेंगे

    वो नैनो की भाषा में नैनो को हम खो जाने देंगे

    मस्ती में भर के फिर हम गुलाल तुझपे डालेंगे


    प्यार भरी होली शायरी


    रंग तो एक बहाना है तुझसे मिलने का, वर्ना कौन
    लाल पिला होना चाहता है

    सर्दी वैसे भी है हद से ज्यादा सजनी, तो कौन
    पागल गिला होना चाहता है

    ये तो इश्क की है खुमारी ए मेरे हमदम की, बिच
    महफ़िल के कहना चाहता है

    एक रंग हो जाए हम दिल से दिल मिला के, जाम तेरे
    होठो से कोई पीना चाहता है


    होली तो रंगों का त्यौहार होता है

    कोई कोई किसी का यार होता है

    मिलते तो लाखो है जहाँ में मगर

    कोई हो खास तो ही प्यार होता है


    तुझे देखा जब तो होश खो गए,

    भीगी तेरी सारी तो बेहोश हो गए

    बात है ही कुछ तुझमे ख़ास की हम

    दूर होकर भी कितने तेरे पास हो गए


    FAQ 

    Q. होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

    Ans. भक्त प्रह्लाद को जब होलिका ने जलाने की कोशिश की तब होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गए, तब से होली का त्यौहार मनाया जाता है। 

    Q. होली की शुरुआत कहाँ से हुई?

    Ans. होली की शुरुआत झाँसी के एरच से हुई मानी जाती है।

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