पितृपक्ष पूर्वजों की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने का पावन समय
पितृपक्ष (pitru paksha) भारतीय सनातन धर्म के तहत एक बेहद ही महत्त्वपूर्ण समय माना गया है, जिसे हमारे पूर्वजो और उनकी आत्माओं की शांति और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है.
पितृपक्ष (pitru paksha) भारतीय सनातन धर्म के तहत एक बेहद ही महत्त्वपूर्ण समय माना गया है, जिसे हमारे पूर्वजो और उनकी आत्माओं की शांति और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है.
ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) हिंदू धर्म में विशेष रूप से मनाया जाने वाला एक पवित्र त्योहार है। यह त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है।
तूफान उठा देगी तालियों की गड़गड़ाहट से, पुरे मंच पर छा जाएंगे आप, जब दिल को झकझोर देने वाली ये शायरियां प्रस्तुत करेंगे,
तालियां मत बजाओ, मुझे ये शोर पसंद नहीं है
आज के जो हालात है, मुझे ये दौर पसंद नहीं है
एक दिन बस याद करें, और फिर भुला दे उनको
हर सुबह उन्हें वंदन न हो, मुझे वो भोर पसंद नहीं है
मिच्छामी दुक्कड़म का अर्थ है क्षमा मांगना, जाने अनजाने में किसी का दिल या मन दुखी हुआ हो तो, उसके लिए क्षम याचना करना ही, मिच्छामी दुक्कड़म का मतलब है
ये देश के दीवानों की आवाज है जो हमारे दिलो में देशभक्ति के बीज बोती है, हर शहीद ने यही कहा था की
जियूं तो जुबां पर नाम हो तेरा
मर जाऊं तो तिरंगा कफन हो मेरा
मैं ख्वाहिश नहीं करता सोने चांदी की
निकले जहां सांसे वो मादरे वतन हो मेरा
देशभक्ति शायरी 15 अगस्त के लिए, हमारा देश आज तेजी से आगे बढ़ रहा है और नए नए कीर्तिमान रच रहा है. हम भी इसमें अपना योगदान दे और देश के नाम को और ऊँचा ले जाए, ये तभी संभव है जब हम एजुकेशन में आगे हो, बच्चो के भविष्य को लेकर चिंतित हो,
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