Last updated on July 15th, 2024 at 02:15 pm
भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतिक है ये त्यौहार, रक्षा बंधन (Raksha Bandhan), यानि की बहन की रक्षा का वचन, एक कच्चे धागे को बांधकर, ये अटूट रिश्ता जो साँसों की डोर से भी नाजुक होता है मगर, जब ये धागा कलाई में बंध जाए, तो फिर इतना मजबूत हो जाता है की, इसे दुनिया की कोई ताकत नहीं तोड़ सकती।
भाई बहन की शायरी
सजे कलाई में एक धागा, जिसका न कोई मोल
सोने चाँदी धन दौलत से, इसको कभी न तोल
प्रेम का सुन्दर बंधन है, स्वार्थ नहीं कुछ और
सारे जग के रिश्तो से, है कितना ये अनमोल
रिमझिम बरसे बदरा, पड़े मीठी फुहार
लौट के आया सावन, फिर छाई बहार
पल पल देखि राह तब, आया राखी त्यौहार
सजे कलाई में राखी, दूँ बहन को उपहार
रेशम का है धागा कच्चा, लेकिन सच्चा प्यार
नहीं टूटे किसी तोड़ से, भाई बहन का प्यार
इससे बढ़के नहीं मिलेगा, ढूंढो चाहे संसार
पावन प्रेम का ये प्रतिक, राखी का त्यौहार
बहन के लिए सैनिक की शायरी
दुआओ में भी तेरा ही, जिक्र करता हूँ
ऐ बहन हर घडी तेरी, फ़िक्र करता हूँ
खड़ा हूँ सिमा पे हजारो, बहनो के लिए
तू ना रोना की मैं तो, फर्ज अदा करता हूँ
और जब भाई घर नहीं आ पाता है, वो सरहद पे अपना फर्ज अदा कर रहा होता है तो, क्या दिल से आह निकलती है की
जाते जाते एक संदेशा, मेरा भी ले जाना
रोती मेरी होगी बहना, उसको याद दिलाना
एक तेरे मैं वास्ते, छोड़ के सरहद आऊं
क्या मैं अपने फर्ज से, गद्दारी कर जाऊं
है लहू का रिश्ता तेरा, तेरा हक़ तो बनता है
पर जो बहने है देश में, क्या उनको भूल जाऊं
और ये दिल को झंझोड़ने वाला मेसेज सिर्फ एक जवान ही दे सकता है, जिसे अपनी बहन ही नहीं पुरे भारत की बहनो की रक्षा का वचन लिया है, वो भाई जो सिमा पे है, उसके सीने में भी दिल है, मगर फिर भी रुकना पड़ता है, क्योकि
बौछारों में गोलियों की जिनकी, सुबह शाम होती है
माँ भारती के चरणों में जिनकी, जिंदगी तमाम होती है
वो हटते नहीं कभी डिगते नहीं, फर्ज अपना निभाते है
हिंदुस्तानी सैनिक की हर साँस, देश के नाम होती है