Last updated on July 15th, 2024 at 09:00 pm
मर मिटे इस देश पर जिनकी बलिदानी रंग लाई
जन जन के लब पे गाथा, हर मुख ने है ये गाई
ईसी भारत भूमि के लिए जिन्होंने अपना लहू बहाया, कुर्बानी दी और देश की खातिर हँसते हँसते अपने प्राण गँवा दिए, मैं उन्ही देशभक्त उन्ही बहादुर उन्ही शहीदों को याद करके आज का ये भाषण शुरू करता हूँ.
मेरे जिगर का हर जख्म अभी ताजा है
नहीं भरा है वो घाव जो दुश्मनो ने साजा है
हम भुला नहीं सकते उन बलिदानो को
मिट गए जो वतन पे उन अभिमानो को
ये आजादी हमने बहुत महंगी पाई है, आज की युवा पीढ़ी नहीं जानती की कैसे जुल्म हुए और क्या हमने खोया है, हमने वो खोया है जो कभी वापस नहीं मिल सकता, देश को समर्पित अपनी जवानी, घर बीवी बच्चो को खोया है, हमने खोया है, अपनी संस्कृति को, हमने खोया है, अपने उन महान रणवीरो को, जो किसी के पिता थे, किसी के पति थे, तो किसी के बेटे थे.
आज हम याद करते है उन जांबाजो को जिन्होंने हँसते हँसते अपने सर कटा दिए, और बिना डरे भीड़ गए हजारो से, नहीं सोचा की क्या होगा अंजाम, क्या होगा घर का, उन्हें अपने घर से ज्यादा फिक्र थी देश की, क्या हुआ जो एक घर तबाह हुआ, सैकड़ो घर तो आबाद हो जाएंगे, यही सोच रख के वो अपनी जान पे खेल गए,.
मिट्टी में हम मिल जाए तो क्या, फूल नए खिलाएंगे
सींच के फसल अपने लहू से, फुलवारी महकाएंगे
सर कटा पर झुका नहीं, ये मेरा स्वाभिमान है
जर्रा हूँ मैं तो मिटने दो, चिंगारी से तूफ़ान उठाएंगे
आज यहाँ पर ये बात करने का मकसद सिर्फ इतना है की, आपको वो सब याद दिलाना जिसके लिए हम यहाँ एकत्रित हुए है, कैसे भूल सकते है हम, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस को, या ऐसे ही अनगिनत जवानो को जो हमारे थे. हमारे लिए मिटे।
बस इन दो लाइनों के साथ इस भाषण को समाप्त करूँगा की,
आग तुम जो लगा गए थे, उसको जवालामुखी हम बनाएगे
भारत माँ की रक्षा के लिए, हम हर एक कदम उठाएंगे
मर जाएंगे हम तो गम नहीं, तिरंगा झुकने नहीं देंगे
भारत की इस भूमि को हम, जन्नत बनाएंगे
जय हिन्द वनडे मातरम, भारत माता की जय