Last updated on July 21st, 2024 at 12:04 am
इस 26 जनवरी पे शिक्षक के लिए शानदार भाषण, ऐसा बेहतरीन भाषण एकदम नए अंदाज में, जो सुनने वालो के दिलो में दीवानगी भर देगी, और आपको भी भाषण बोलने एकदम जोश पैदा हो जाएगा.
ये भाषण एक नए तरीके से लिखने की कोशिश की है, जो आपको भी एक बेहतरीन अनुभव प्रदान करेगा, बोलने में आपको जबरदस्त जोशीलेपन का अनुभव होगा.
26 जनवरी पे टीचर भाषण विडियो
26 जनवरी पर भाषण टीचर के लिए
चमकते हुए चाँद से खिले चेहरों के साथ बैठे हुए, सभी प्यारे बच्चो और उनके अभिभावकों को गणतंत्र दिवस की बधाई, बधाई उन सभी सूरज की तरह प्रकाश फैलाने वाले शिक्षकों गुरुओ को, जिन्होंने जीवन की अँधेरी राहों को, अपने ज्ञान के प्रकाश से रोशन किया.
बधाई देता हूँ मैं उन सभी पधारे हुए अतिथियों एवं उपस्थित सभी अभिभावकों को, जिन्होंने यहाँ पधारकर, आज के दिन को और भी गौरवांतित किया है, साथ ही मेरे सभी सहयोगी मित्रो को बधाई दूंगा, जिन्होंने इस कार्यक्रम को इतनी भव्यता से आयोजित करने में रात दिन संघर्ष किया.
आज का दिन एक ऐसा दिन जिसकी विशेषता के बखान करूँ तो ये एक दिन कम पड़ जाएगा, ये दिन ऐसा दिन है जिसकी अगर मैं तुलना करूँ तो,
जैसे बिच समंदर में डूबते इंसान को कोई जहाज मिल जाए, जैसे अँधेरी काँटों भरी रात में, अचानक से सूरज उग जाए, जैसे जंग हार चुके किसी इंसान को जीत का ताज मिल जाए, ये दिन इससे भी कहीं ऊपर है,
क्योकि ये ही वो दिन है, जिसने भारत को गणतंत्र बनाया, भारत, वो भारत जो विश्वगुरु था, वो भारत जिसके नाम का डंका दुनियां में बजता था, वो भारत जो कभी झुका नहीं, वो भारत जो दुसरो की सहायता और मदद के लिए हमेशा तैयार रहा, वो भारत जिसने अपने तो अपने, कभी परायो को भी पराया नहीं समझा.
और इसी अच्छाई और साफ़दिली की बदौलत ही हमें वो कीमत चुकानी पड़ी, जिसकी कीमत चुकाते हुए, हमारे कई भाई बहन, बुजुर्ग और बच्चे, इस आंधी की भेंट चढ़ गए.
आज हम यहाँ बैठे है शांति से, मगर एक वो भी दिन था, एक वो भी घडी थी, एक वो भी समय था,… जब चैन की एक एक सांस भी मौत के साये से होकर गुजरा करती थी, भूले नहीं है, नहीं, नहीं भूले है हम, वो खौफनाक मंजर जो आज भी हमारी रगो में खून को उबाल देता है, नहीं भूले है हम, नहीं भूले है….
नहीं भूले है वो रोते बिलखते बच्चे, अबलाओ की अस्मत से खिलवाड़ और वो दानवता से भरी रात और दिन, नहीं भूले है..
ये गलती ये हादसा क्यों हुआ, सिर्फ इसलिए की हमारा मन साफ़ था, या इसलिए की हम हर किसीको अपने दिल में अपने घर में जगह देते थे, नहीं ये बात वो नहीं थी, बल्कि ये बात थी, हमारा वो भारत जो सोने की चिड़िया कहलाता था,
जिसकी चकाचौंध के आगे दुनियां की आँखे चौंधियाँ जाती थी, बिलबिला उठते थे वो लोग हमारी भव्यता को देखकर, पिलपिलाते थे हमारी मोहब्बत और प्यार को देखकर.
और इसीलिए उन्होंने फुट डाली, हमारी एकता में, हमें जुदा किया गया, हमें बांटा गया, कही धर्म के नाम पर, तो कहीं जात पात और उंच नीच के नाम पर, हमसे हमारी शिक्षा को छिना गया, और थोप दिया गया हमपे अंग्रेजी सभ्यता का वो ज्ञान, जिससे कहीं गुना ऊंची थी हमारी शिक्षा व्यवस्था.
आज ये सारी बाते आपके समक्ष करने का कारण सिर्फ इतना भर है, की मत भूलो, आज की इस दौड़ भरी जिंदगी में मत भूलो, हमारी सभ्यता हमरी संस्कृति हमारे विचार और हमारा आचरण मत भूलो,
मत भूलो छोटो से प्यार करना, मत भूलो बड़ो के क़दमों में झुक जाना, और मत भूलो इस भारत भूमि को, इस धरती को, ये जननी ये जन्मभूमि जहाँ देवो ने भी जन्म लिया सिर्फ इसलिए की इस धरती की गोद में खेल सके, उन महावीरों और रणवीरो ने भी जन्म लिया, इसलिए की वो माँ भारती के सर पे अपने खून से तिलक लगा सके.
आज २६ जनवरी के इस अवसर पर मैं आप सबसे कहना चाहूंगा की, देश के लिए, अपने भारत के लिए, अपनी भूमि के लिए, वो करो की दुनियां फिर से देखे, भारत फिर से विश्वगुरु बने,
और इसके लिए हर एक इंसान को, जो इस भारत की भूमि से मोहब्बत करता है, वंदन करता है, नमन करता है.
हर उस इंसान को अपना योगदान देश के लिए देना होगा, जो जिस क्षेत्र में हो उस क्षेत्र में काम करते हुए अपना सफलतम प्रयास करें,
जो शिक्षक है वो बच्चो को उज्जवल भविष्य और देश का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति बनाने का प्रयास करें, जो सरकारी विभाग में है वो भ्रष्टाचार पे लगाम कसने की कोशिश करें.
ये नहीं कहता की आप सड़को पे आंदोलन करें या रैलिया निकाले, आप जहाँ हो वहां से शुरुआत करें, एक छोटा सा बीज एक बड़ा विशाल पेड़ बना देता है, इसी तरह आपकी कोशिश कब कामयाबी में बदल जाएगी, आपको पता भी नहीं चलेगा. आज के दिन के महत्तव को समझते हुए आप सब यहाँ एकत्रित हुए इसका अर्थ ये है की, आप सभी देशभक्त है, और आपके अंदर देशप्रेम की भावना है, देश के करने और समर्पण की कामना है, बस देरी है तो सिर्फ एक कदम बढ़ाने की.
देश के सभी देशभक्तो को नमन करता हूँ, और इस विशाल मंच से अपनी बात कहने का मौका प्रदान लिए, आयजकों का मैं धन्यवाद करता हूँ, माँ भारती को नमन करता हूँ, और चार पंक्तियों के बाद अपना स्थान ग्रहण करूँगा की.
मौजे मचल उठी है, सागर से पार पाने को
दूर साहिल है मगर, मंजिल से मिल जाने को
एक कदम एक कसम, एक निर्णय करे कोई
नामुमकिन नहीं कुछ, आसमाँ में तिरंगा लहराने को
जय हिन्द वंदे मातरम.