Last updated on July 20th, 2024 at 04:17 pm
26 जनवरी गणतंत्र दिवस क्या है और हम क्यों मनाते है, भारत का संविधान कब लिखा गया और 15 अगस्त और 26 जनवरी में क्या अंतर है, ये सब बाते हम जानने वाले है, आशा करते है की आपको जानकारी पसंद आएगी.
26 जनवरी गणतंत्र दिवस क्या है?
भारत देश को स्वतंत्रता तो बहुत पहले यानि की 1947 में मिली और अंग्रेजो के आतंक से जन मानस को छुटकारा मिला, लेकिन आजादी मिलने के बाद भी भारत में कोई कानून व्यास्था नहीं बन पाई थी.
और जिस देश में न्याय कानून व्यवस्था न हो उस देश का हाल बहुत ही दयनीय होता है, जगह जगह अपराधिक गतिविधिया बढ़ जाती है, इसलिए देश में एक न्याय प्रणाली, कानून व्यवस्था का होना आवश्यक था.
आजादी मिलने के लगभग तिन साल के बाद 1950 में 26 जनवरी को भारत में कानून व्यवस्था लागू हुई थी, यानी की 26 जनवरी को भारत का संविधान लागू हुआ था.
हम हर साल इसीलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है.
26 January |
हमने 26 जनवरी क्यों मनाया?
कई लोगो के मन में ये प्रश्न अवश्य आता होगा की, हमें संविधान के विषय में हमेशा दो तारीखे सुनने को मिलती है, इन दो तारीखों की वजह से कई लोग असमंजस में पड़ जाते है, की सही तारीख कौन सी है.
देखा जाए तो 26 नवम्बर 1949 को, संविधान को स्वीकृति दी गई थी, संविधान सभा में इसे स्वीकार किया गया था. परन्तु इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था, इसी कारण से हम 26 जनवरी को अपना गणतंत्र दिवस मनाते है.
क्या 26 जनवरी और 15 अगस्त के बीच अंतर है?
अंतर है भी और नहीं भी, क्योकि ये दोनों दिन भारत के लिए बहुत ही महत्तवपूर्ण रहे है, ये वो खास तारीखे है, जिन्हें हम कभी भुला नहीं सकते.
अंग्रेजो की गुलामी से आजादी मिलना और भारत का अपना कानून बनाना, दोनों ही हमारे लिए खास है, और यही वजह है की ये दोनों दिन हम बड़ी धूम धाम से मनाते है.
15 अगस्त 1947 ये वो तारीख है जिस दिन हम गोरो की गुलामी से आजाद हुए, हमारा भारत आजाद हुआ था. इसलिए हम 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते है.
आजादी के 3 साल बाद 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ इसलिए हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते है.
गणतंत्र की परिभाषा क्या है?
गणतंत्र या गणराज्य को हम विस्तार से समझेंगे, गणतंत्र का मतलब होता है, सार्वजानिक यानी की जो सब के लिए हो, किसी के बाप दादा की जागीर नहीं, और न ही विरसे में मिलने वाला कोई पद या सम्पति, इसे गणतंत्र कहते है.
पहले राजा महाराजाओं या अन्य हुक्मरानों के शासन में पद अपने वारिस को मिलता था, जो गणतंत्र देश में ऐसा हरगिज नहीं होता.
गणतंत्र देश में हम अपनी इच्छा से अपने पदाधिकारी चुन सकते है, और उन्हें हटा भी सकते है, ये सरकार का एक रूप है, जिसमे कोई भी प्रमुख या सेवक वहां का राजा नहीं होता.
भारत को गणतंत्र क्यों कहा जाता है?
भारत ने 1947 को आजादी पाई और एक आजाद और स्वतंत्र राष्ट्र बन गया, अब भारत गुलाम नहीं था.
भारत ने खुद को संप्रभु, न्यायिक, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया 26 जनवरी 1950 को, इसलिए भारत को गणतंत्र कहा जाता है.
भारत में संविधान लागू कब हुआ था?
26 नवम्बर 1949 को स्वीकार किया गया, भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था, इसलिए 26 जनवरी को ही संविधान लागू होने की पुख्ता तारीख माना जाता है.
भारतीय संविधान कितने दिन में पूरा हुआ था?
इतना विशाल संविधान लिखना बहुत ही कठिन कार्य था, और इसमें समय लगाना तो तय था ही, और हमारे भारत के संविधान को लिखने में जो समय लगा, वो समय था 2 साल 11 महीने और 18 दिन.
गणतंत्र और लोकतंत्र में क्या अंतर है?
लोकतंत्र और गणतंत्र दोनों में भिन्नता पाई जाती है, जैसे की लोकतंत्र में सत्ता जनता के हाथों में होती है, और गणतंत्र में सता व्यक्तिगत नागरिको के हाथों में होती है.
गणतंत्र में कानून व्यवस्था या न्याय प्रणाली वो लोग बनाते है, जिनको जनता ने चुना होता है, चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा ही ये कार्य संपन्न किया जाता है.
जबकि लोकतंत्र में कानून या न्याय प्रणाली बहुमत द्वारा बनाए जाते है.
भारत के प्रथम संस्थापक कौन है?
मौर्य साम्राज्य के अशोक महान को ये श्रेय दिया जाता रहा है, भारत को एकीकृत कर भारत को उप्म्हाद्विपो तक फैलाने और परचम लहराने का कार्य मौर्य शासन काल में ही संभव हुआ.
इतिहास बहुत ही पेचीदा मसला होता है, अब तक ये तर्क निकल कर आए है, तो कल कोई और बात भी निकल कर आ सकती है की, इससे पहले भी ये साम्राज्य था. तो जो जानकारी साझा की है वो इतिहास के जानकारों द्वारा लिखी और गूगल पर उपलब्ध है.